सच में पहुंचने से पहले आप वहां जा चुके होते हैं | कैफ़े मोंडेगर मेरे लिए वैसी ही एक जगह है |
वाकया फ़रवरी की सर्दियों का है जब मैं , मेरी पत्नी रश्मि और मेरा मित्र मोहसिन हम तीनों मुमबई में होने वाले कला घोड़ा आर्ट फेस्टिवल देखने गए हुए थे |
हमने पुणे से मुंबई तक का सफर पुणे से मुंबईके बीच चलने वाली ऐतिहासिक और शानदार डेक्कन क़्वीन से तय किया | डेक्कन क्वीन को देश में चलने वाली सबसे ऐतिहासिक ट्रेंस में से एक का दर्ज़ा प्राप्त है | पुणे है क्वीन ऑफ़ डेक्कन डेक्कन क्वीन पुणे को मुंबई से जोड़ती है | ये देश की पहली सुपरफास्ट ट्रैन है, देश की पहली डाइनर वाली ट्रैन है , देश की पहली लेडीज कम्पार्टमेंट वाली ट्रैन है |
सुबह सुबह व्हिक्टोरिया टर्मिनस पर उतरने के बाद हमने कोलाबा के लिए टैक्सी ली | यकीन मानिये अगर आप अपनी जिंदगी की तमाम सुबाँहों में से एक को याद रखने लायक बनाना चाहते हैं तो आपको उस सुबह कोलाबा पे होना चाहिए | मुमबई के कोलोनिअल अतीत की याद दिलाता कोलाबा आपको सकमांडर के किनारे की प्राकृतिक सुंदरता को आदम जाट की बनायीं हुई खूसूरत इमारतों , सड़को से सजे हुए मुंबई शहर से तुलना करने का अप्रतिम अवसर देता है | और ये कहने में मुझे जरा भी हिचक नहीं है की ये उनमे से कुछ सबसे दुर्लभ क्षड़ों में से एक है जब मानव निर्णीत सुंदरता अगर ज्यादा नहीं तो काम भी नहीं पड़ती |
और इस सुंदरता में बहुत बड़ा हिस्सा पारसी कैफे एंड रेस्टोरेंट्स का है | इन्ही में से एक है कैफ़े मोंडेगर|
आर्ट डेको से प्रभावित एक बहुत ही सुन्दर इमारत में बने हुआ कैफ़े मोंडेगर का नाम आपको आकर्षित करता हैं |
गानों का शौक़ीन मेरा मित्र मोहसिन इस मौके को कहाँ चूकने वाला था |
और इसी कैफ़े मोंडेगर में मेरी मुलाकात मारियो मिरान्डा से हुई | या यूँ कहें की उनकी कला से हुई|
मारियो मिरान्डा के म्यूरल्स से सजी कैफे की दीवारें कोलाबा की कलात्मकता बयान करती हैं |
कला की जगहें हमें ये भरोसा दिलाती हैं की हम अपनी आदम प्रवृत्तियों के आगे भी कुछ हैं और मनुष्य अपनी तमाम बुराइयों से आगे विकसित होने की चेष्टा है |
दमन के एक कैथोलिक परिवार में 1926 में जन्मे मारियो मिरान्डा
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