कहतें हैं की सूरजमुखी के फूल सूरज को तकते रहते हैं | किंतु धरती पर लोगों ने बस ऐसा सुना ही था |
हर तरफ अनियंत्रित प्रगति ने जंगलों और खेतों को समाप्त कर दिया था | पेड़ पौधे अब बीते दिनों की बात थी |
उनका अस्तित्व किताबों में बिखरे शब्दों में या चित्रों की रेखाओं में ही रह गया था | सूरजमुखी के फूल का सूरज को तकते रहना अब कोरी गल्प ही थी |
किन्तु वह अब भी पौधों से प्यार करती थी | उसके पिता एक सरकारी प्रयोगशाला में वैज्ञानिक थे जो खुदाई में निकले पौधों के बीजों पर शोध करते थे | उन्होंने अपनी बेटी को चुपके से सूरजमुखी के कुछ बीज'कुछ बीज लाकर दिए जिसे उसने अपने कमरे के एक कोने में लगे गमलों में लगा दिया दिया था | धीरे धीरे जब अंकुर फूटे और
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