"बिहाइंड द बाजार" उर्फ़ "भेन्डी बाजार" उर्फ़ "भिन्डी बाजार"


विलियम शेक्सपीयर ने कहा "What's in a name?" अर्थात "नाम में क्या रखा है" | 
पर कभी कभी नाम में ही इतना कुछ  रखा होता है कि पूरी कहानी लिखी जा सकती है | क्यूंकि वो नाम बस नाम न होकर पूरा इतिहास और भूगोल होता है | 
भिंडी बाजार दक्षिणी मुंबई का एक पुराना बाजार है। इस बाजार के अनोखे नाम का भिंडी से कोई सरोकार नहीं है, जैसा कि इसके नाम से लगता है।
कहानी कुछ यूँ है कि बहादुर शाह ने पुर्तगालियों के साथ एक सन्धि की. वो सन्धि थी बेसिन की सन्धि (Treaty of Bassein) जो दिसंबर 1534 में हुई थी. इसका मतलब था कि बॉम्बे के 7 द्वीप जो बेसिन शहर के करीब थे (अब बेसिन को वसई कहा जाता है जो मुंबई का ही हिस्सा है.) वो पुर्तगालियों के अंतरगत आ जाएंगे. यही थी मुंबई के बनने की शुरुआत.
पुर्तगाली इस शहर को बॉम बाहिया (Bom bahia) कहते थे जिसका मतलब था 'the good bay' (एक अच्छी खाड़ी). इसी शब्द को अपभ्रंश कर अंग्रेजों ने कहना शुरू किया बॉम्बे और ऐसे मिला उन द्वीपों के समूह को अपना सबसे प्रचलित नाम बॉम्बे.
बॉम्बे पर अंग्रेजों की नजरें बहुत पहले से थीं, लेकिन वो किसी भी हाल में उसे ले नहीं पाए, लेकिन महज 9 सालों के अंदर ब्रिटेन के चार्ल्स II की शादी पुर्तगाल के राजा की बेटी कैथरीन से हो गई. 11 मई 1661 को बॉम्बे के 7 द्वीप ब्रिटेन को दहेज में दे दिए गए. चार्ल्स ने बॉम्बे ईस्ट इंडिया कंपनी को महज 10 पाउंड सोना सालाना के किराए पर दे दिया.
और ऐसे मुंबई में आई ईस्ट इंडिया कंपनी. ईस्ट इंडिया कंपनी ने यहाँ  एक फोर्ट बनवाया ताकि यहां वो रह सकें और अपना कारोबार चला सकें |यही है मुंबई का  फोर्ट इलाका जो दक्षिण मुंबई में स्थित है | 


बाद में इसी फोर्ट में बसे  लोगों की रोज मर्रा की जरूरतों को पूरा करने के लिए बना "क्राफोर्ड मार्केट"। इसका नाम बॉम्बे के पहले म्युनिसिपल कमिश्नर "आर्थर क्राफोर्ड " के नाम पर रखा गया |  ये इस इलाके का प्रमुख बाज़ार था | 


धीरे धीरे इस क्रॉफोर्ड मार्किट के दक्षिण में एक और रिहायशी  इलाका जन्म लेने लगा  था जो बना था बॉम्बे में आजीविका की तलाश में आये विभिन्न समुदाय के लोगों से | गु जराती, सिंधी ,पारसी और अनेकानेक समुदायों से छोटे छोटे व्यापारियों ने यहाँ बसना शुरू किया और यहीं एक दुसरे बाज़ार को जन्म ले लिया | 
अंग्रेज़ों ने यहाँ के मुख्य बाज़ार क्राफोर्ड मार्किट के पीछे जन्मे इस बाज़ार वाले इलाके को "behind the bazaar"
कहना शुरू किया जहाँ बाज़ार का मतलब था क्राफोर्ड मार्किट और "behind the bazaar" का मतलब था इस मार्किट के पीछे का हिस्सा | 
धीरे धीरे यही "behind the bazaar" बोलचाल की भाषा में  "Bhendi Bazaar" हुआ और बाद में "bhindi Bazaar" बन गया | 


 भाषा की इसी बाजीगरी को आप सत्याजित रे की एक बहुत की रोचक कहानी "घुरघुतियार घटना" में भी देख सकते है जहाँ एक अंग्रेज साहब अपने नौकर से दरवाज़ा बंद करने को कहना चाहते हैं लेकिन नौकर को अंग्रेजी नहीं  आती| तो इसका तोड़ वो "There was a brown crow" कह कर निकालते हैं जो जैसी से बोलने पर "दरवाज़ा बंद करो" जैसा सुनाई पड़ता है | 

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